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लेखनी कहानी -06-Oct-2023

शीर्षक = बचपन की शरारत

बचपन, एक सुहाना दौर और इसमें की जाने वाली शरारतें उनका तो कोई भी जवाब नही और बच्चों की तरह हम भी बहुत शरारती थे लेकिन डरते बहुत थे खास कर अपनी माँ से उनकी डांट और मार से हमें बहुत डर लगता था लेकिन फिर भी शैतानी से बाज नही आते थे और खास कर ज़ब हमे हमारे साथ का कोई मिल जाए तब तो सोने पर सुहागा हो जाता था ऐसे ही एक घटना एक शरारत को आप लोगो के साथ साँझा करने जा रहे है, दरअसल हम और हमारे दोस्त को अविष्कार करने का बड़ा शोक था नए नय अविष्कार करते फिरते थे जिनकी वजह से हमें कई बार मार भी पडती लेकिन एक बार तो हद ही करदी थी हम दोनों ने दरअसल हुआ कुछ यूं

की मेरे दोस्त की दादी का इलाज चल रहा था जिसके चलते वो नींद की दवाई लेती थी उन्हें नींद की समस्या थी हमारे दिमाग़ ने ये काम दिखाया की हमने सोचा क्या इस दवाई का असर बच्चों पर भी हो सकता है लेकिन इतनी समझ हमें थी की प्रयोग हमेशा दूसरों पर ही करना उचित होता है

इसलिए हमने अपने ही एक साथी को जो की हमसे थोड़ा छोटा था उसे बेहला फुसला कर रसना जूस में नींद की गोली एक नही बल्कि चार मिला कर पिला दी

पहले तो उसे कुछ नही हुआ लेकिन बाद में उसकी हालत ख़राब हो गयी उसे अस्पताल ले जाया गया उसका इलाज हुआ वही दूसरी तरफ हमें और हमारे दोस्त को बहुत मारा गया आखिर शरारत भी तो इतनी बड़ी थी।

आज भी कभी बचपन की याद आती है तो वो शरारत सबसे पहले याद आती है।

समाप्त....

प्रतियोगिता हेतु

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5 Comments

RISHITA

13-Oct-2023 01:02 PM

V nice

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hema mohril

09-Oct-2023 07:42 PM

Amazing

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Gunjan Kamal

08-Oct-2023 08:49 PM

👏👌

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